एस्पिरिन के साइड इफेक्ट जो डिमेंशिया का खतरा बढ़ाते हैं।

दैनिक उपयोग की जाने वाली एस्पिरिन और अन्य दवाओं से डिमेंशिया का खतरा बढ़ने पर अध्ययन ने चिंता जताई

एक नई खोज, जो एस्पिरिन जैसी जानी-मानी दवाओं को डिमेंशिया से जोड़ती है, ने दुनियाभर में चिंता पैदा कर दी है। इसने विभिन्न स्वास्थ्य स्थितियों के लिए उपयोग की जाने वाली दवाओं को लेकर चिंता बढ़ा दी है, खासकर क्योंकि वृद्ध जनसंख्या इन दवाओं के संभावित खतरों के प्रति अधिक संवेदनशील होती है।


आगे के लेख में, हम इस शोध के मुख्य बिंदुओं, इसके परिणामों और दिमागी स्वास्थ्य बनाए रखने के लिए व्यक्तियों द्वारा उठाए जा सकने वाले कदमों पर चर्चा करेंगे।

अध्ययन में क्या पाया गया?

यह शोध एक शीर्ष मेडिकल जर्नल में प्रकाशित हुआ और इसमें एस्पिरिन, एंटिचोलिनर्जिक दवाओं और कुछ ओवर-द-काउंटर (OTC) दवाओं के मस्तिष्क स्वास्थ्य पर प्रभाव का अध्ययन किया गया। इसमें वर्षों तक विभिन्न प्रतिभागियों को उनकी दवा उपयोग और संज्ञानात्मक क्षमता के आधार पर ट्रैक किया गया।

मुख्य निष्कर्ष:

1. नियमित उपयोग: विशेष रूप से बुजुर्गों में, नियमित एस्पिरिन उपयोग डिमेंशिया के खतरे को थोड़ा लेकिन महत्वपूर्ण रूप से बढ़ाता है।

2. संज्ञानात्मक हानि: एसीटाइलकोलाइन-ब्लॉकिंग एजेंट (जो मेमोरी और सीखने से संबंधित न्यूरोट्रांसमीटर को प्रभावित करते हैं) से जुड़े पाए गए।

3. संचयी प्रभाव: लंबे समय तक, यहां तक कि कम खुराक पर, इन दवाओं का उपयोग डिमेंशिया के विकास के जोखिम को बढ़ा सकता है।

मस्तिष्क पर एस्पिरिन और अन्य दवाओं का प्रभाव

खतरे के पीछे के तंत्र:

शोध में कई तंत्र सुझाए गए हैं, जिनसे ये दवाएं मस्तिष्क पर प्रभाव डाल सकती हैं:

1. मस्तिष्क में रक्त संचार में कमी: एस्पिरिन और अन्य दवाएं रक्त की मात्रा को कम करती हैं। इससे मस्तिष्क की कुछ छोटी धमनियों में रक्त प्रवाह बाधित हो सकता है, जिससे सोचने-समझने में परेशानी होती है।

2. न्यूरोट्रांसमीटर में रुकावट: ये दवाएं एसीटाइलकोलाइन नामक न्यूरोट्रांसमीटर को बाधित करती हैं, जो याददाश्त बनाने और याद करने में सहायक होता है।

3. क्रॉनिक सूजन: लंबे समय तक दवाओं के उपयोग से मस्तिष्क में हल्की लेकिन स्थायी सूजन हो सकती है, जो न्यूरोडिजेनेरेटिव प्रक्रियाओं को बढ़ावा देती है।


कौन सबसे अधिक प्रभावित होता है?

1. बुजुर्ग: जो कई दवाएं लेते हैं, वे अधिक जोखिम में होते हैं।

2. पहले से संज्ञानात्मक समस्याओं वाले व्यक्ति: हल्की संज्ञानात्मक हानि (MCI) वाले मरीज तेजी से बिगड़ सकते हैं।

3. लंबे समय तक दवा लेने वाले: जो रोज़ाना दवाएं लेते हैं, उनमें जोखिम अधिक होता है।

निष्कर्षों के प्रभाव

चिकित्सकों के लिए सीख:

चिकित्सकों, देखभालकर्ताओं और मरीजों के लिए यह शोध एक चेतावनी है कि एस्पिरिन जैसी दवाएं, जो आमतौर पर हृदय स्वास्थ्य के लिए दी जाती हैं, उनके दीर्घकालिक उपयोग के संभावित नकारात्मक प्रभाव हो सकते हैं।

डॉक्टरों की चुनौतियां:

अब डॉक्टरों को इन दवाओं के फायदों और नुकसान का संतुलन बनाना होगा।

प्रिस्क्रिप्शन में बदलाव: विशेष रूप से बुजुर्ग मरीजों के लिए दवाओं के प्रिस्क्रिप्शन में सावधानी बरतनी होगी।

सुरक्षित विकल्प: कई लोग वैकल्पिक उपायों या जीवनशैली में बदलाव जैसे व्यायाम या तनाव प्रबंधन की ओर रुख कर सकते हैं।

सार्वजनिक स्वास्थ्य नीतियों पर प्रभाव

इस शोध के परिणाम अंतरराष्ट्रीय स्वास्थ्य संगठनों को इन दवाओं के उपयोग पर अधिक सतर्कता और दुष्प्रभावों की जानकारी बढ़ाने के लिए प्रेरित कर सकते हैं।


दिमागी स्वास्थ्य बनाए रखने के उपाय

हालांकि ये निष्कर्ष चिंताजनक हैं, फिर भी जोखिम कम करने और संज्ञानात्मक कार्यक्षमता बनाए रखने के लिए कई कदम उठाए जा सकते हैं:

1. अपनी दवाओं पर ध्यान दें:

डॉक्टर से परामर्श करें: एस्पिरिन या एंटिचोलिनर्जिक दवाओं के उपयोग पर अपने डॉक्टर से नियमित चर्चा करें।

स्वयं दवा लेने से बचें: ओवर-द-काउंटर दवाएं दीर्घकालिक दुष्प्रभाव डाल सकती हैं।

2. मस्तिष्क के अनुकूल जीवनशैली अपनाएं:

संतुलित आहार: फल, सब्जियां, साबुत अनाज और ओमेगा-3 फैटी एसिड का सेवन करें।

नियमित व्यायाम: यह मस्तिष्क में रक्त प्रवाह बढ़ाता है और सूजन को कम करता है।

गुणवत्तापूर्ण नींद: नींद से याददाश्त मजबूत होती है और मस्तिष्क की सफाई होती है।

3. मस्तिष्क को सक्रिय रखें:

पजल हल करना, पढ़ना या नई चीजें सीखना संज्ञानात्मक क्षमता को बढ़ाता है।

4. संज्ञानात्मक गिरावट के शुरुआती संकेतों पर नजर रखें:

भूलने की आदत, ध्यान केंद्रित करने में कठिनाई जैसे लक्षण दिखें तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें।

आगे की जरूरत

यह शोध संभावित खतरों की ओर संकेत करता है, लेकिन यह पूरी तरह से निर्णायक नहीं है।

1. अधिक अध्ययन: एस्पिरिन और डिमेंशिया के बीच सीधा कारण-प्रभाव संबंध समझने के लिए।

2. सुरक्षित खुराक निर्धारित करना: जहां लाभ जोखिम से अधिक हो।

3. जोखिम और लाभ का संतुलन: एस्पिरिन के हृदय स्वास्थ्य लाभ को ध्यान में रखते हुए सावधानीपूर्वक निर्णय लेने की आवश्यकता है।


निष्कर्ष :यह शोध बताता है कि बढ़ती उम्र में दवाओं का उपयोग सोच-समझकर करना चाहिए। एस्पिरिन और अन्य दवाओं के छुपे हुए खतरे हमारे मस्तिष्क स्वास्थ्य को प्रभावित कर सकते हैं। इसलिए, दवाओं के लाभ-हानि का संतुलन बनाना, स्वस्थ आदतें अपनाना, और चिकित्सकों से परामर्श लेना बेहद महत्वपूर्ण है।

धन्यवाद।                 


आपका दिन शुभ हो।


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